साल 2020 भले ही कुछ खास अच्छा न माना जा रहा हो, स्पेस साइंस की फील्ड में इस साल अलग ही कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे हैं। पृथ्वी से मंगल पर मिशन पहले भी भेजे गए हैं लेकिन इस बार एक साथ तीन-तीन मिशन मंगल के रास्ते पर हैं। संयुक्त अरब अमीरात और चीन के स्पेसक्राफ्ट लॉन्च हो चुके हैं और अमेरिका गुरुवार को लॉन्च के लिए तैयार है। भारतीय समय के अनुसार शाम को करीब 6 बजे अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA फ्लोरिडा के केप कनेवरल में केनेडी स्पेस सेंटर से अपने Perserverance रोवर को लॉन्च करेगी। NASA पहले भी मंगल पर Insight और Curiosity रोवर भेज चुकी है। आइए जानते हैं कि क्यों इसका नया मिशन खास है, इसका भारत से क्या कनेक्शन है और लॉन्च को लाइव कितने बजे और कहां देखा जा सकता है-
NASA का Perseverance ऐस्ट्रोबायॉलजी से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब खोजेगा जिनमें से सबसे बड़ा सवाल है- क्या मंगल पर जीवन संभव है? यह मिशन न सिर्फ मंगल पर ऐसी जगहों की तलाश करेगा जहां पहले कभी जीवन रहा हो बल्कि अभी वहां मौजूद माइक्रोबियल जीवन के संकेत भी खोजेगा। Perseverance रोवर कोर वहां चट्टानों और मिट्टी से सैंपल लेगा और मंगल की सतह पर एक cache में रख देगा। भविष्य में वहां जाने वाले मिशन इन सैंपल्स को धरती पर वापस लेकर आएंगे। दरअसल, इन सैंपल्स को स्टडी करने के लिए वैज्ञानिकों को बड़े लैब की जरूरत होगी जिसे मंगल पर ले जाना संभव नहीं है।
इसके अलावा मिशन ऐसी जानकारियां इकट्ठा करने और टेक्नॉलजी टेस्ट करने का मौका मिलेगा जिनसे आने वाले समय में मंगल पर इंसानों को भेजने की चुनौतियों को आसान करने में मदद मिलेगी। इसमें सबसे अहम होगा मंगल के वायुमंडल में ऑक्सिजन बनाने का तरीका खोजना। इनके अलावा सतह पर पानी खोजना, लैंड करने के बेहतर तरीके इजाद करना, ऐस्ट्रोनॉट्स के रहने लायक मौसम, धूल और पर्यावरण की स्थिति खोजना भी इस मिशन में शामिल है। Perseverance ऐसे प्रोटोटाइप स्पेससूट का मटीरियल भी लेकर जाएगा जिसे भविष्य में ऐस्ट्रोनॉट्स के लिए तैयार करने में इस्तेमाल किया जा सकता है और इस मटीरियल का वहां के हिसाब से टेस्ट करेगा।
Perseverance में एक कोन के शेप का बैकशेल पैराशूट के साथ अटैच किया गया है जो हीट शील्ड के साथ मंगल के वायुमंडल में एंट्री के वक्त रोवर की सुरक्षा करेगा। जुलाई से अगस्त के बीच के वक्त पृथ्वी और मंगल एक-दूसरे के संबंध में इस तरह से होते हैं जिससे मंगल पर लैंडिंग करना आसान हो सकता है। इनके बीच की दूरी ऐसी है जिससे कम समय और ईंधन से मंगल पर पहुंचा जा सकता है। यह लॉन्च के बाद फरवरी, 2021 तक मंगल के Jezero Crater पर लैंड कर सकता है।
मंगल पर लैंड होने के बाद इसका छोटा हेलिकॉप्टर Ingenuity रिलीज होगा। इससे पहले कभी पृथ्वी के वायुमंडल को छोड़कर कहीं और कोई रोटरक्राफ्ट नहीं उड़ाया गया है। Ingenuity इसी का डेमो मंगल पर करेगा। यह हेलिकॉप्टर सतह से 10 फीट ऊंचा उठेगा और एक बार में 6 फीट आगे तक जाएगा। यह मुश्किल से 15 मिनट के लिए उड़ान भरेगा लेकिन इससे आने वाले समय में इस टेक्नॉलजी के इस्तेमाल को लेकर जानकारी मिल सकेगी ताकि ऐसी जगहों पर भी स्टडी की जा सके जहां रोवर या इंसान नहीं जा सकेंगे।
खास बात यह है कि Ingenuity का नाम भारतीय मूल की स्टूडेंट वनीजा रुपाणी ने रखा है। NASA ने ‘नेम द रोवर’ नाम की प्रतियोगिता कराई थी जिसमें वनीजा ने अपनी एंट्री भेजी थी। 28 हजार निबंधों में से वनीजा के निबंध को चुना गया जिसमें उन्होंने लिखा था- ‘इंजनुइटी वह चीज है जो अद्भुत चीजें सिद्ध करने में लोगों की मदद करता है। यह ब्रह्मांड के हर कोने में हमारे क्षितिजों को विस्तारित करने में मदद करेगा।’
इस मिशन को लेकर NASA के ऐडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्राडेन्स्टीन ने कहा है, ‘हमें नहीं पता की वहां जीवन है या नहीं लेकिन हम यह जानते हैं कि इतिहास में एक समय था जब मंगल रहने योग्य था।’ केवल अमेरिका मंगल तक अपना अंतरिक्षयान सफलतापूर्व पहुंचा पाया है। वह 1976 में Vikings से शुरुआत करके आठ बार ऐसा कर चुका है। 6 अन्य अंतरिक्ष यान केंद्र से ग्रह का अध्ययन कर रहे हैं। इनमें से तीन अमेरिका, दो यूरोप और एक भारत का है।
लॉन्च को @NASAPersevere के ट्विटर हैंडल, यूट्यूब चैनल और ऑफिशल वेबसाइट-
पर भी लइव देखा जा सकता है।
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