तेजस्वी यादव का इंटरव्यू: लालू का युग सामाजिक न्याय का रहा, हम आर्थिक न्याय करेंगे

तेजस्वी यादव का इंटरव्यू: लालू का युग सामाजिक न्याय का रहा, हम आर्थिक न्याय करेंगे

बिहार में अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव में होने वाले हैं। इस चुनाव में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव विपक्ष की धूरी बने हुए हैं। क्या है विपक्षी एकता का प्लान? क्या है नीतीश का हराने का प्लान? क्यों विपक्षी सीएम पर है विवाद? चिराग पासवान से किस तरह है सियासी रिश्ते? इन तमाम सवालों पर नवभारत टाइम्स ने बात की तेजस्वी यादव से। पेश है बातचीत के अंश-

सवाल: अभी कोरोना की जो स्थिति है उसे देखते हुए राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के पक्ष में हैं या नहीं?

जवाब: देखिए, यह इतना डरावना दौर है, जिसमें कार्यरत मां-बाप अपने बच्चों को गोद में लेने से डर रहे हैं। सेवारत कोरोना योद्धा अपने बुजुर्ग मां-बाप के पास जाने में सावधानी बरत रहे हैं कि कहीं उन्हें कोरोना ना हो जाए। ख़ुद 134 दिन से घर से बाहर नहीं निकलने वाले लोग चुनाव चाहते हैं। जुलाई महीने में संक्रमण का फैलाव जिस रफ़्तार से हुआ है, नए मरीज़ों और केस पाजिटिविटी रेट में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है ये सब आने वाले महीनों में तबाही के मंजर की और अगाह कर रही है। संक्रमितों की जांच नहीं हो रही, अस्पतालों में किसी को बेड नहीं मिल रहें, लोग दर-बदर ठोकर खा रहे हैं। बिहार देश का कोरोना हॉटस्पॉट बनने की ओर अग्रसर है। इन सब चीजों को देखते हुए मैं क्या कोई भी मानवता में विश्वास रखने वाला व्यक्ति चुनाव के पक्ष में नहीं होगा।

इसके साथ ही बाढ़ का कहर कोसी, सारण, चंपारण, मिथिलांचल, सीमांचल और अन्य तटवर्ती इलाकों में लोगों की जान-माल को भयंकर क्षति पहुंचा रहा है। अभी सरकार की प्राथमिकता लोगों का इलाज, उनकी जान बचाना होना चाहिए ना की चुनाव कराना। लाशों के ढेर पर चुनाव कराना और मतदान केंद्र से मतदाताओं को सीधे शमशान भेजने का पक्षधर मैं कभी नहीं हूं। जनतंत्र में जब जन ही नहीं रहेगा तो तंत्र का क्या फ़ायदा?

सवाल: जेडीयू-बीजेपी आरोप लगा रही है कि आप चुनाव से भागने के लिए इसे टालने की मांग कर रहे हैं?

जवाब: 15 साल की सत्ता विरोधी लहर, हर साल की बाढ़, कोरोना में केंद्र व राज्य सरकार की भारी नाकामी और प्रत्यक्ष लापरवाही, बेरोजगारी की विकराल समस्या, पलायन, मज़दूरों का अपमान, विधि, स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था की बदतर स्थिति, हर परीक्षा में धांधली और पेपर लीक, अफसरशाही, हर स्तर पर भ्रष्टाचार जैसे इतने सारे मुद्दों, जनता में व्याप्त जबरदस्त गुस्सा और असंतोष और आरजेडी के इतने बड़े जनाधार के बाद कोई यह सोचता है कि हम चुनाव से भागने का बहाना ढूंढ रहे हैं तो मेरी उनको शुभकामनाएं हैं। एनडीए हमारी ताकत से डरकर ही एकसाथ है।

इनके पंद्रह सालों के झूठ और भ्रम का मेकअप उतर गया है और लोग परिवर्तन के लिए संकल्पित और आतुर हैं। हम लोगों के लिए बेहद अनुकूल परिस्थिति है फिर भी हमें बिहारवासियों की स्वास्थ्य और जान की फ़िक्र है। ऐक्चूअल जमीनी हक़ीक़त को भांपते हुए भाजपा-जदयू वाले वर्चुअल हो गए हैं।

सवाल: विपक्षी गठबंधन का आकार अब तक तय होता नहीं दिख रहा है? कांग्रेस और छोटे दलों को लेकर बातचीत और सीट समझौते के लेकर कहां तक पहुंची है?

जवाब: इसमें शुरू से कोई दुविधा रही ही नहीं। साप्म्रदायिक, विभाजनकारी, तानाशाही ताकतों के खिलाफ हम सभी धर्मनिरपेक्ष, सामाजिक और आर्थिक न्याय पसंद, प्रगतिशील दल एकजुट हैं। सीट समझौते और अन्य मुद्दों पर बातचीत अंतिम दौर में है और आपलोगों की उचित समय पर इसकी जानकारी दी जाएगी।

सवाल: क्या विपक्षी सीएम पद के दावेदारी को लेकर कोई विवाद है? कुछ नेताओं ने कहा कि इसका एलान बाद में हो?

जवाब: इस बिंदु पर सिर्फ मीडिया में ही विवाद है। तमाम साथियों का शुरू से ही मानना रहा है की सबसे मज़बूत आधार वाला बड़ा घटक दल ही गठबंधन के नेतृत्व का स्वाभाविक और नैसर्गिक हक़दार होगा। इसमें कोई दुविधा नहीं है।

सवाल: इस चुनाव में लालू प्रसाद यादव खुद नहीं रहेंगे। उनकी कितनी कमी आएगी?
जवाब: लालू जी की कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता। वो व्यक्ति नहीं विचार और विज्ञान हैं। बिहार में आगामी चुनाव में राजद की वापसी कराने में सभी लोग जी-जान से लगे हैं। हम सबों के नेता आदरणीय लालू जी का विचार, प्यार, आशीर्वाद और मार्गदर्शन सदैव साथ है।

सवाल: आपने पूर्व में गलतियों पर माफी मांगने का सिलसिला शुरू किया। यह आसान नहीं था। किस तरह ऐसा ख्याल आया?

जवाब: देखिये इंसान कोई भगवान नहीं है जो ग़लतियां ना करे और ग़लतियों की माफ़ी मांगना ही इंसानियत है। जिसमें रीढ़ की हड्डी होती है वही झुकता है। सिद्धांतहीन, विचारहीन और रीढ़विहीन लोग क्या झुकेंगे? हमने कहा कि अगर कोई भूल हुई होगी तो उसे सही करने का समय आ गया है। हमने कहा कि हमें अपनी ग़लतियों से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए। वह 15 वर्ष का कार्यकाल सामाजिक न्याय का स्वर्णिम काल था। जो काम युगों से नहीं हुए थे वो उस 15 वर्ष में हुए थे। अब हम आर्थिक न्याय करेंगे।

सवाल: चिराग पासवान खुद एनडीए में सवाल उठा रहे हैं। क्या बिहार के दो युवा नेता कभी एक मंच पर आ सकते हैं?

जवाब: कोई भी स्वाभिमानी और स्वयंनिर्मित आदमी एनडीए में असहज और कुंठित महसूस करेगा, मैं समझता हूं चिराग भाई को देर से ही सही इस अहसास-ए-कमतरी का बोध हुआ होगा। एनडीए अवसरवादियों, फ़ासिस्ट ताकतों, गरीब और मध्य वर्गीय विरोधियों का एक जमावड़ा है। जिन्होंने सत्ता को प्राथमिकता दिया वो उस खेमे में हैं, जो संविधान में आस्था रखते हैं और उसके अनुरूप समावेशी विकास और सामाजिक न्यायपसंद प्रगतिशील विचारधारा पर चलना चाहते हैं तो क्या हर्ज है। हम और हमारा दल बिहार की 60 फ़ीसदी युवा आबादी की आशाओं, अपेक्षाओं और सपनों के अनुरूप नए दौर में नया बिहार बनाने के लिए कटिबद्ध है।

सवाल: क्या नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हुए तो उन्हें गठबंधन में दोबारा जगह मिल सकती है?

जवाब: ऐसी कोई भी संभावना नहीं है। ये तो बीजेपी ही है जो अपमान सहकर भी उनके साथ है। 2013 में नीतीश जी ने बिना बताए बीजेपी के मंत्रियों को दूध में मक्खी की तरह निकालकर बाहर फेंक दिया था। नीतीश जी का कोई सिद्धांत, विचार, नीति और नियम नहीं है। वो कुर्सी के लिए अवसरवादिता, विश्वासघात और स्वार्थ की सारी पराकाष्ठा पार कर चुके है। वो देश के एकमात्र अनूठे नेता हैं जो कुर्सी के लिए हर दल के साथ गठबंधन में रहे है। 2015 में भाजपा के विरुद्ध वो हमारे साथ गठबंधन में थे। हमने बीजेपी को हराया भी लेकिन जनादेश का अपहरण कर फिर वहीं भाग गए। अब कोई सवाल ही नहीं।

सवाल: आप अभी राज्य में घूम रहे हैं, लोग सबसे अधिक किस बात की शिकायत करते हैं।
जवाब: सभी लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खोज रहे है जो 134 दिनों से अदृश्य हो गए है। सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा, लोग पूछ रहें की बिहार में सरकार भी है क्या? लोग परेशान हैं, हताश हैं! अब इस सरकार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त करना नहीं चाहते हैं! 15 साल से उनसे खिलवाड़ हो रहा है! ना जीवन की सुरक्षा है, ना विकास है, ना सुविधाऐं हैं, ना कानून व्यवस्था है, ना बाढ़ से आज़ादी है, ना शिक्षा के बेहतर विकल्प हैं, ना स्वास्थ्य सुविधाऐं हैं। भ्रष्टाचार,बेरोजगारी, मॅहगाई, भुखमरी, स्वास्थ्य व्यवस्था जैसे अनेकों सवाल लोगों के मन में है। जनता ऊब चुकी है और सरकार बदलने को आतुर है।

सवाल: 11 आप अपने पार्टी के कुछ पुराने सीनियर नेताओं की नाराजगी को किस तरह दूर करेंगे
जवाब: ये सब मीडिया के उपजाए मनगढ़ंत शगूफे हैं जो बिल्कुल निराधार हैं। आरजेडी की नींव लालू जी के साथ इन्ही वरिष्ठ नेताओं ने रखी है और वही लोग खेवनहार है। मैं एक अदना सा कार्यकर्त्ता हूँ और सभी लोगों का सानिध्य मुझे मिला है। ख़ुद के वरिष्ठ नेताओं और संस्थापकों को मार्गदर्शक मंडली में डालने वालों को कुछ नहीं मिलता तो ऐसी तथ्यविहीन और मनगढंत अफवाह फैलाते रहते है।

Bihar